जलपाईगुड़ी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि उनकी सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना ‘स्वास्थ्य साथी’ केंद्र की ‘आयुष्मान भारत’ योजना की तुलना में अधिक समावेशी है. राज्य के उत्तरी हिस्से में अपने प्रशासनिक दौरे के तहत जलपाईगुड़ी में एक सार्वजनिक वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना को लागू करने की प्रासंगिकता और निष्पक्षता पर सवाल उठाया.
उन्होंने दावा किया, ”हमें बंगाल में आयुष्मान भारत क्यों लागू करना चाहिए? वे चाहते हैं कि हम 60 प्रतिशत लागत वहन करें जबकि केंद्र केवल 40 प्रतिशत ही दे रहा है. जिन लोगों के पास फ्रिज, टीवी या अपना घर है, उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ नहीं मिलेगा. इसलिए, मेरे राज्य की 11 करोड़ की आबादी में से लाभार्थियों की संख्या केवल लगभग एक करोड़ होगी.” उन्होंने कहा कि दूसरी ओर ‘स्वास्थ्य साथी’ सार्वभौमिक प्रकृति की योजना है और पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ”हमारी योजना सबके लिए है. इसमें कोई विभाजन या भेदभाव नहीं है. हम इसे पूरी तरह से वित्तपोषित करते हैं, और हम केंद्र से कोई पैसा नहीं लेते.” ममता बनर्जी वर्तमान में उत्तरी पश्चिम बंगाल में तीन दिवसीय प्रशासनिक दौरे पर हैं, जहां उनका कल्याणकारी वितरण समारोहों और प्रशासनिक बैठकों सहित कई सार्वजनिक आयोजनों में भाग लेने का कार्यक्रम है.
हिंसाग्रस्त नेपाल में फंसे पर्यटकों को कुछ ही दिनों में वापस लाया जाएगा: ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को हिंसा प्रभावित नेपाल में फंसे राज्य के पर्यटकों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार कुछ ही दिनों में पर्यटकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है. बनर्जी ने जलपाईगुड़ी में एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं नेपाल में फंसे पर्यटकों से अपील करती हूं कि वे घबराएं नहीं. हम उन्हें कुछ ही दिनों में वापस लाएंगे.” बनर्जी ने कहा कि उन्होंने कल रात भर जागकर पड़ोसी देश की स्थिति पर नजर रखी.
उन्होंने कहा, ”मैंने पूरी रात जागकर (नेपाल की स्थिति पर) कड़ी नजर रखी. मुझे पता है कि बंगाल के कई पर्यटक नेपाल में हैं. मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहती हूं कि हम इस मामले को उठा रहे हैं और हालात स्थिर होते ही उन्हें वापस लाना शुरू कर देंगे.” नेपाल में एक दिन पहले ही सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के कारण के पी ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को संसद, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी भवनों, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी थी.