नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को वैश्विक कंपनियों को देश के तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि व्यवस्थित नियामकीय ढांचे, अनुपालन में सुगमता और सरल कर ढांचे के साथ भारत का तेजी से बढ़ता विमानन क्षेत्र अग्रणी वैश्विक कंपनियों के लिए बेहतर निवेश अवसर प्रदान करता है.
प्रधानमंत्री ने उभरते क्षेत्र रखरखाव और मरम्मत (एमआरओ) का जिक्र करते हुए कहा कि भारत विमान रखरखाव के लिए वैश्विक केंद्र बनने के प्रयासों में तेजी ला रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) की 81वीं वार्षिक आम बैठक और विश्व हवाई परिवहन शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएटीएस) के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में भारत में 96 एमआरओ सुविधाएं थीं, जो अब बढ़कर 154 हो गई हैं. इसके अलावा स्वत: मंजूर मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी और कर को युक्तिसंगत बनाने के उपायों ने एमआरओ क्षेत्र को नई गति दी है. मोदी ने यह भी कहा कि देश का लक्ष्य 2030 तक मरम्मत और रखरखाव क्षेत्र का आकार बढ़ाकर चार अरब डॉलर करने का है.
उन्होंने कहा, ”नया भारतीय विमान अधिनियम वैश्विक सर्वोत्तम गतिविधियों के अनुरूप है. इसके साथ एक सुव्यवस्थित नियामकीय ढांचा, अनुपालन में सुगमता और सरल कर व्यवस्था है. यह सब प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश अवसर का प्रदान करता है.” भारत में पिछली आईएटीए की सालाना आम बैठक 42 साल पहले 1983 में आयोजित की गई थी. इस बार की बैठक में 1,600 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए हैं जिनमें शीर्ष वैश्विक विमानन उद्योग के प्रमुख, सरकारी अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रतिनिधि शामिल हैं.
प्रधानमंत्री ने पिछले चार दशक में देश में हुए परिवर्तनकारी बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि आज का भारत पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास से भरा हुआ है. उन्होंने वैश्विक विमानन परिवेश में भारत की बढ़ती भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, ”वैश्विक विमानन परिवेश में भारत न केवल एक विशाल बाजार है, बल्कि नीति, नेतृत्व, नवोन्मेष और समावेशी विकास का प्रतीक भी हैं.”
मोदी ने कहा, ”आज, भारत अंतरिक्ष-विमानन के क्षेत्र में एक वैश्विक अगुवा के रूप में उभर रहा है. नागर विमानन क्षेत्र ने पिछले एक दशक में ऐतिहासिक प्रगति देखी है, जिसे हर जगह स्वीकार किया जा रहा है.” प्रधानमंत्री ने भारत के विमानन क्षेत्र को आगे बढ़ाने वाले तीन बुनियादी स्तंभों का जिक्र किया. एक विशाल बाजार, जो केवल उपभोक्ताओं का समूह नहीं, बल्कि भारत के महत्वाकांक्षी समाज का प्रतिबिंब है, एक मजबूत जनसांख्यिकी और प्रतिभा, जहां युवा नवोन्मेषक कृत्रिम मेधा, रोबोटिक्स और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी सफलताएं हासिल कर रहे हैं और एक खुला तथा सहायक नीति परिवेश, जो औद्योगिक विकास को सक्षम बनाता है.
उन्होंने कहा, ”भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है.” मोदी ने उड़ान योजना की सफलता का उल्लेख किया और इसे भारतीय नागर विमानन इतिहास का एक ्स्विवणम अध्याय बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल के तहत 1.5 करोड़ से अधिक यात्रियों को किफायती हवाई यात्रा का लाभ मिला है. इससे कई नागरिक पहली बार उड़ान भरने में सक्षम हुए हैं.
उन्होंने कहा कि भारत की एयरलाइंस लगातार दहाई अंक की वृद्धि हासिल कर रही हैं. सालाना 24 करोड़ यात्री उड़ान भर रहे हैं, जो दुनिया भर के ज्यादातर देशों की कुल आबादी से अधिक है. वर्ष 2030 तक यह संख्या 50 करोड़ यात्रियों तक पहुंचने की उम्मीद है.
मोदी ने यह भी कहा कि भारत में सालाना 35 लाख टन माल हवाई मार्ग से ले जाया जाता है और इस दशक के अंत तक यह मात्रा बढ़कर एक करोड़ टन हो जाने की पूरी संभावना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में देश में 74 हवाई अड्डे परिचालन में थे, जो अब बढ़कर 162 हो गये हैं. भारतीय विमानन कंपनियों ने 2,000 से अधिक नये विमानों के ऑर्डर दिये हैं, जो इस क्षेत्र में तेजी से विकास का संकेत है.
उन्होंने कहा, ”भारत के हवाई अड्डों की वार्षिक क्षमता अब 50 करोड़ यात्रियों की है और (देश) प्रौद्योगिकी के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को बेहतरीन अनुभव में नये मानक स्थापित करने वाले कुछ देशों में से एक है.” उन्होंने टिकाऊ विमान ईंधन, हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश और कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में उठाये गये कदमों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि सुरक्षा, दक्षता और सतत विकास को समान रूप से प्राथमिकता दी जा रही है.
मोदी ने कहा कि लगातार हो रहे सुधारों से भारत के विमानन क्षेत्र को गति मिल रही है. उन्होंने एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में विनिर्माण मिशन की घोषणा की गई है, जो औद्योगिक विकास पर भारत के जोर को और मजबूत करता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को केवल एक विमानन बाजार के रूप में नहीं बल्कि मूल्य-श्रृंखला के प्रमुख देश के रूप में देखा जाना चाहिए. डिजाइन से लेकर डिलिवरी तक, भारत वैश्विक विमानन आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बन रहा है. उन्होंन कहा कि भारत लगातार खुले आकाश और वैश्विक संपर्क का समर्थन करता है. भारत ने शिकॉगो सम्मेलन के सिद्धांतों समर्थन किया है और अधिक जुड़े और सुलभ विमानन नेटवर्क की वकालत की है.
विश्व हवाई परिवहन शिखर सम्मेलन विमानन उद्योग के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा. इसमें एयरलाइन उद्योग का अर्थशास्त्र, हवाई संपर्क, ऊर्जा सुरक्षा, टिकाऊ विमानन ईंधन उत्पादन, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उपायों का वित्तपोषण और नवोन्मेष आदि शामिल हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के कनाडा में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना नहीं
छह साल में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में आयोजित होने वाले आगामी जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना नहीं है. मामले से परिचित लोगों ने सोमवार को यह बात कही. कनाडा 15 से 17 जून तक शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जिसमें रूस-यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति सहित विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है.
संबंधित सूत्रों के अनुसार, यह पता चला है कि ओटावा द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री को शिखर सम्मेलन के लिए अभी तक निमंत्रण नहीं भेजा गया है, फिर भी मोदी किसी भी तरह से इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस यात्रा के लिए काफी जमीनी तैयारी की आवश्यकता होगी. भारत-कनाडा संबंधों में उस समय बहुत गिरावट आ गई थी जब 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया. हालांकि, अप्रैल में संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी की जीत ने संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की उम्मीद जगा दी है.
नयी दिल्ली में यह आकलन किया गया है कि कनाडा की नयी सरकार की ओर से वहां खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है. इसके अलावा, नयी दिल्ली और कनाडा द्वारा एक-दूसरे के उच्चायुक्तों को बहाल करने के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं की गई है. पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत ने अपने उच्चायुक्त तथा पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया था, क्योंकि ओटावा ने उन्हें निज्जर मामले से जोड़ने का प्रयास किया था. भारत ने भी इतनी ही संख्या में कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.
सूत्रों में से एक ने कहा, ”प्रधानमंत्री के दौरे के लिए, द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति को देखते हुए हमें काफी जमीनी कार्य करने की जरूरत होगी.” भारत-कनाडा संबंधों से परिचित एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. पिछले कुछ महीनों में भारत और कनाडा के सुरक्षा अधिकारियों ने संपर्क पुन? शुरू किया है तथा दोनों पक्ष नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की संभावना पर विचार कर रहे हैं. ट्रूडो के इस्तीफे को द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के अवसर के रूप में देखा गया.
भारत ने ट्रूडो सरकार पर कनाडा की धरती से खालिस्तान समर्थक तत्वों को गतिविधियां चलाने की अनुमति देने का आरोप लगाया था.
पिछले साल जून में मोदी ने इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्रों में भाग लिया था. यह पांचवीं बार था जब उन्होंने वार्षिक जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया था.
वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन के लिए हिरोशिमा गए थे, जबकि 2022 में उन्होंने दक्षिणी जर्मनी में श्लॉस एल्मौ के अल्पाइन कैसल में इस सम्मेलन में भागीदारी की थी. जी7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं. कनाडा वर्तमान में जी7 की अध्यक्षता कर रहा है और उसी हैसियत से शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.