नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में ‘उत्कृष्ट प्रतिभा’ है और वह खेल की बेहतरी के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए ‘अतिरिक्त प्रयास’ करेगा. न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, ”हम चाहते हैं कि चीजें आगे बढ़ें. यह एक असाधारण पल है. हम सभी सहयोग कर रहे हैं. भारत में उत्कृष्ट प्रतिभा है. हम सभी मिलकर काम करेंगे. हम अतिरिक्त प्रयास करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि चीजें व्यवस्थित हों. कुछ कोच कह रहे थे कि भारत में युवा स्तर पर प्रतिभा दुनिया में कहीं भी उपलब्ध प्रतिभा के बराबर है. हम कुछ भी नहीं रोक सकते. ”
सुनवाई के दौरान एआईएफएफ ने पीठ को सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के संचालन के लिए एक वाणिज्यिक भागीदार के चयन हेतु ‘खुली, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया’ आयोजित करने की जानकारी दी. उच्चतम न्यायालय एक सितंबर को एआईएफएफ के प्रस्ताव पर विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनेगा.
न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने फीफा द्वारा एआईएफएफ को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया जिसमें 30 अक्टूबर की समय सीमा तय की गई है ताकि व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके और ‘भारत के उच्चतम न्यायालय से संशोधित एआईएफएफ संविधान को मंजूरी देने और एआईएफएफ संविधान का फीफा और एएफसी के नियमों और विनियमों के अनिवार्य प्रावधानों के साथ पूर्ण संरेखण सुनिश्चित करने के लिए एक निश्चित आदेश प्राप्त किया जा सके’.
शंकरनारायणन ने कहा कि फीफा देश की उच्चतम न्यायालय को शर्तें नहीं थोप सकता. पीठ ने कहा कि फीफा का पत्र अप्रासंगिक है और इस पर कोई ध्यान देने से इनकार कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले एआईएफएफ और फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) को ‘मास्टर राइट्स’ समझौते के नवीनीकरण से संबंधित मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा था जिसने आईएसएल का आगामी सत्र अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है.