नयी दिल्ली/इस्लामाबाद. भारत सरकार ने तिब्बत में यारलुंग त्संगपो नदी के निचले हिस्से में चीन द्वारा एक विशाल बांध का निर्माण कार्य शुरू करने संबंधी खबरों का संज्ञान लिया है और यह मुद्दा हाल में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ उनकी भारत यात्रा के दौरान उठाया था.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि यह परियोजना सबसे पहले 1986 में सार्वजनिक हुई थी और तब से चीन में इसके लिए तैयारियां चल रही थीं. यारलुंग त्संगपो नदी भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है. विदेश राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी गतिविधियों की बारीकी से निगरानी करती है, जिनमें चीन द्वारा प्रस्तावित जलविद्युत परियोजनाएं भी शामिल हैं, और नीचे की ओर रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए आवश्यक एहतियाती और सुधारात्मक कदम उठाती है.
उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच 2006 में स्थापित ‘विशेषज्ञ स्तर की प्रणाली’ के तहत सीमा पार नदियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती है, साथ ही राजनयिक माध्यमों से भी संवाद बनाए रखा जाता है. सिंह ने कहा, “निचले प्रवाह वाले देश के रूप में भारत के पास सीमा पार नदियों के जल का अधिकार है. सरकार ने हमेशा अपने विचार और चिंताएं चीनी पक्ष को स्पष्ट रूप से अवगत कराई हैं, जिसमें पारर्दिशता, परामर्श और निचले हिस्से के राज्यों के हितों की रक्षा की आवश्यकता शामिल है.” उन्होंने बताया कि भारत और चीन ने 2002 में यालुजांगबू/ब्रह्मपुत्र नदी पर बाढ़ के मौसम में सूचना साझा करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे, जिसे 2008, 2013 और 2018 में नवीनीकृत किया गया.
इसी प्रकार का एक अन्य समझौता ज्ञापन सतलुज नदी (लांगचेन जांगबो) पर 2005 में हुआ, जिसे 2010 और 2015 में नवीनीकृत किया गया. मंत्री ने बताया कि 2017 में चीन ने ब्रह्मपुत्र और सतलुज दोनों नदियों की जल संबंधी जानकारी साझा नहीं की और जब भारत ने आपत्ति जताई, तो चीन ने तकनीकी कारणों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर समझौता ज्ञापन पांच जून, 2023 को समाप्त हो गया, जबकि सतलुज नदी पर समझौता ज्ञापन पांच नवंबर, 2020 को समाप्त हो गया था.
सिंह ने बताया “ब्रह्मपुत्र नदी की जल संबंधी जानकारी जून 2023 से निलंबित है और सतलुज नदी की जानकारी 2022 से प्राप्त नहीं हुई है.” भारत सरकार ने कई द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान सीमा पार नदियों पर सहयोग की आवश्यकता और चीन द्वारा जल संधी जानकारी फिर से साझा करने की जरूरत को रेखांकित किया है. इनमें जुलाई में विदेश मंत्री जयशंकर की एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए चीन यात्रा (14-16 जुलाई) और 18 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा शामिल हैं.
उनसे यह भी पूछा गया कि क्या भारत सरकार अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी पर कोई प्रतिरोधी बांध तैयार करने की योजना बना रही है. इसके जवाब में सिंह ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश की सियांग नदी पर ‘अपर सियांग मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट’ (11,200 मेगावाट) और ‘सियांग लोअर एचई प्रोजेक्ट’ (2,700 मेगावाट) प्रस्तावित परियोजनाएं हैं.
भारत पर 50 फीसदी शुल्क लगाने के अमेरिकी फैसले का पूरी तरह विरोध करता है चीन: राजदूत
चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि चीन भारत पर अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत तक का शुल्क लगाने और उसे और बढ़ाने की धमकी का पूरी तरह विरोध करता है. यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फेइहोंग ने यह भी कहा कि शुल्क और व्यापार ”युद्ध” वैश्विक आर्थिक और व्यापार व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं. चीन के राजदूत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारत-चीन संबंधों में सुधार का दौर देखा जा रहा है.
भारत और चीन ने मंगलवार को ”स्थिर, सहयोगी और भविष्यमुखी” संबंधों के लिए कई उपायों की घोषणा की थी. इनमें सीमा पर शांति बनाए रखना, सीमा व्यापार को फिर से खोलना, निवेश प्रवाह को बढ़ावा देना और जल्द से जल्द सीधी हवाई सेवा बहाल करना शामिल है. दोनों एशियाई दिग्गजों की ”पूर्ण” विकास क्षमता को साकार करने के उद्देश्य से की गई ये घोषणाएं उस समय आई हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार और शुल्क नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ रहा है.
चीन और भारत ने इन उपायों को एक संयुक्त दस्तावेज में सूचीबद्ध किया था. इससे पहले इस सप्ताह चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत की थी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी भेंट की थी. यहां आईआईसी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीनी राजदूत ने अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए शुल्क का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, ”अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक का शुल्क लगाया और इसे बढ़ाने की धमकी भी दी. चीन इसका पूरी तरह विरोध करता है.” आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए फेइहोंग ने कहा कि उनका देश भारत समेत सभी देशों के साथ मिलकर शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन को आयोजित करने को तैयार है, जिसका उद्देश्य मैत्री, एकता और सकारात्मक परिणाम हासिल करना है उन्होंने कहा, “हम मिलकर ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो का नया अध्याय खोल सकते हैं” यानी भारत और चीन अगर सामंजस्य और सहयोग के साथ आगे बढ़ें, तो वे वैश्विक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने डार से मुलाकात की, द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने बृहस्पतिवार को रणनीतिक विचार-विमर्श किया, जिस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. डार ने वांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हमने आज पारस्परिक हितों के विविध क्षेत्रों पर उपयोगी और ठोस चर्चा की.” विदेश कार्यालय ने कहा कि इस्लामाबाद में विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता के छठे दौर के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के कई पहलुओं पर गहन विचारों का आदान-प्रदान किया, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा 2.0, व्यापार और आर्थिक संबंध, बहुपक्षीय सहयोग और लोगों से लोगों के बीच संबंध शामिल थे.
इसमें कहा गया है, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान-चीन संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की तथा महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की.” विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच सदाबहार रणनीतिक सहयोग साझेदारी को रेखांकित करते हुए डार और वांग ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि पाकिस्तान-चीन मित्रता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों की प्रगति और समृद्धि के लिए भी अपरिहार्य है.
उन्होंने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय और संचार जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की. इससे पहले, रणनीतिक वार्ता के लिए विदेश मंत्रालय पहुंचने पर विदेश मंत्री डार ने वांग का गर्मजोशी से स्वागत किया. वह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी मुलाकात करेंगे. वांग कल रात काबुल से इस्लामाबाद पहुंचे, जहां उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ त्रिपक्षीय बैठक में भाग लिया.