अराफात. सऊदी अरब में तपती धूप में हज करने आए हजारों यात्री बृहस्पतिवार को इबादत के लिए अराफात पहुंचे. भीषण गर्मी के बीच उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलते हुए अराफात की पहाड़ी पर पहुंचकर यात्रियों ने वार्षिक हज के एक प्रमुख अनुष्ठान को पूरा किया. हज यात्रियों को सूर्यास्त तक अराफात में रहना होता है जहां पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है.
यमन के सलीम नाजी अहमद चार दिन तक सड़क मार्ग से यात्रा करने के बाद पड़ोसी देश सऊदी अरब पहुंचे क्योंकि वह हवाई यात्रा का खर्च वहन नहीं कर सकते थे. उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, ”हम यमन से चार दिन और रात की यात्रा करके आए हैं. यह बहुत थका देने वाला सफर था, लेकिन हम अल्लाह को खुश करने और फर्जों की अदायगी के लिए इस पवित्र और दुनिया के सबसे अच्छे स्थान पर आए हैं.
इस्लाम में अराफात की पहाड़ी का बहुत महत्व है. कुरान में अराफात का उल्लेख है और कहा जाता है कि यहीं पर पैगंबर मुहम्मद ने हज के मौके पर आखिरी खुतबा (उपदेश) दिया था. पैगंबर मुहम्मद साहब की हदीसों के मुताबिक अराफात का दिन वर्ष का सबसे पवित्र दिन है, जब अल्लाह अपने बंदों के करीब आता है और उनके गुनाहों को माफ कर देता है.
मिस्र के हेतम सलीम ने कहा, ”हम अपनी भावना को व्यक्त नहीं कर सकते. हम मुकद्दस मुकामों पर आकर सबसे बेहतर महसूस करते हैं.” हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर सक्षम मुस्लिम के लिए यह जरूरी माना जाता है कि वह जीवन में कम से कम एक बार हज करे. अधिकारियों ने इस साल हज करने वाले कुल हाजियों की संख्या का खुलासा नहीं किया है. इससे पहले उन्होंने कहा था कि 15 लाख से ज़्यादा विदेशी हज कर रहे हैं. पिछले साल देश के बाहर से 16,11,310 यात्री हज करने आए थे.