यरुशलम/पेरिस. इजराइल आने वाले दिनों में गाजा शहर में एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू करने की तैयारी में जुटा है. वहीं दूसरी ओर वार्ताकार इजराइल और हमास के बीच 22 महीनों से जारी संघर्ष समाप्त करने के लिए युद्धविराम की कोशिशों में लगे हुए हैं. इजराइली सेना ने बुधवार को बताया कि रक्षा मंत्री ने गाजा के कुछ सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में अभियान के एक नये चरण की शुरुआत की योजना को मंजूरी दे दी है.
सेना के मुताबिक, 60,000 रिजर्व सैनिकों को बुलाया जाएगा और वर्तमान में सेवारत अतिरिक्त 20,000 रिजर्व सैनिकों की सेवा अवधि बढ़ाई जाएगी. इजराइली सेना का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि गाजा में मानवीय संकट और भी बदतर हो सकता है.
समूहों ने कहा कि गाजा में अधिकांश निवासी विस्थापित हो गए हैं, विशाल इलाके खंडहर में तब्दील हो गए हैं और लोगों पर अकाल का खतरा मंडरा रहा है. अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि सेना गाजा शहर के उन हिस्सों में अभियान चलाएगी, जहां इजराइली सेना ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है और जहां हमास अब भी सक्रिय है. अधिकारी ने बताया कि इजराइली सैनिक इस अभियान का आधार तैयार करने के लिए गाजा शहर के जितून व जबालिया इलाकों में पहले से ही काम कर रहे हैं तथा इसके लिए आने वाले दिनों में ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ से मंजूरी मिलने की उम्मीद है.
मैक्रों ने नेतन्याहू की यहूदी विरोधी टिप्पणी की निंदा की
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की उस टिप्पणी को “घृणित” और “भ्रामक” करार दिया, जिसमें उन्होंने (नेतन्याहू ने) फलस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने की मैक्रों की मंशा को यहूदी विरोध भड़काने वाला बताया था. पिछले महीने मैक्रों की इस घोषणा के बाद हाल के हफ्तों में इजराइल और पारंपरिक सहयोगियों के बीच तनाव बढ़ गया. इस घोषणा को लेकर ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने मैक्रों का समर्थन किया था जबकि इजराइल ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे खारिज कर दिया था.
मैक्रों की तीखी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज. ने बुधवार को नेतन्याहू के इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देकर “इज.राइल के साथ विश्वासघात किया है” और वह एक “कमज.ोर नेता” हैं. मैक्रों के कार्यालय ने मंगलवार शाम को जारी एक बयान में कहा, “यह विश्लेषण कि फ्रांस द्वारा सितंबर में फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का निर्णय देश में यहूदी-विरोधी हिंसा में वृद्धि के लिए ज.म्मिेदार है, भ्रामक, घृणित और पूरी तरह अस्वीकार्य है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.” मौजूदा समय गंभीरता और जिम्मेदारी का आ”ान करता है न कि सामान्यीकरण और मनमाने आचरण का.”
इज.राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक पत्र में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को लिखा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अगले महीने फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने की उनकी घोषणा के बाद से फ्रांस में यहूदी-विरोधी घटनाओं में “तेज.ी” आई है. सोमवार को लिखे गए इस पत्र को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ ने भी देखा है. नेतन्याहू ने कहा, “फलस्तीन के लिए आपका आ”ान इस यहूदी-विरोधी भावना को और भड़का रहा है.” फ्रांस पश्चिमी यूरोप की सबसे बड़ी यहूदी आबादी वाला देश है, जहां अनुमानित रूप से 5,00,000 यहूदी रहते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग एक प्रतिशत हैं.