नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी में व्यापक बदलाव ‘लोगों के लिए सुधार है’ और इस कदम से देश के गरीब-से-गरीब लोगों को भी लाभ होगा. उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना ‘गलत जानकारी’ पर आधारित है. वास्तव में देश को बेहतर विपक्षी दल और अच्छे विपक्षी नेताओं की जरूरत है. जीएसटी सुधारों और अन्य मुद्दों पर पीटीआई-भाषा के साथ वित्त मंत्री की विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश.
सवाल: बजट में आपने आयकर छूट सीमा बढ़ायी और अब जीएसटी दर में कटौती की है. आप इन दोनों फैसलों का पूरी अर्थव्यवस्था, निजी उपभोग के साथ महंगाई पर क्या प्रभाव देखती हैं?
जवाब: मुद्रास्फीति पहले से ही काफी हद तक नियंत्रण में है. पिछले कुछ समय से यह काबू में ही है. यह कटौती, या जीएसटी में बड़ा सुधार, वास्तव में लोगों को ज्यादा उपभोग के लिए प्रेरित करेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है. लोग यह समझते हैं कि आज वे 100 रुपये में जो चीजें खरीद रहे हैं, उतने ही पैसे में अब ज्यादा खरीद सकते हैं. वास्तव में जीएसटी में व्यापक बदलाव ‘लोगों के लिए सुधार है’ और इस कदम से देश के हर परिवार को, गरीब-से-गरीब लोगों लाभ होगा. दरों में इस कमी से मासिक घरेलू राशन और चिकित्सा बिलों में कमी आएगी. साथ ही यह पुरानी कार की जगह नई कार लेने, रेफ्रिजरेटर या वॉशिंग मशीन जैसी पुरानी वस्तुओं की जगह नई चीजें खरीदने जैसी आकांछाओं को भी पूरा करने में मददगार होगी. इससे उपभोग में वृद्धि होगी और इसके परिणामस्वरूप, मेरा मानना ??है कि वृद्धि का एक अच्छा चक्र शुरू होगा.
सवाल: लगभग 395 वस्तुओं की कीमतें कम होने वाली हैं. आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगी कि कर दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को मिले.
जवाब: हम दरों में कटौती का लाभ आम लोगों को देने के लिए उद्योगों से बातचीत कर रहे हैं. वे सभी खुलकर कह रहे हैं कि हम इस कटौती का लाभ ग्राहकों को देंगे. कई कंपनियों ने दाम में कटौती की घोषणा भी की है. 22 सितंबर से मेरा पूरा ध्यान इसी पर होगा कि लोगों को इसका लाभ मिले.
सवाल: जीएसटी परिषद का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था, लेकिन फैसले के बाद विपक्षी राज्यों ने मुद्दे उठाए. कांग्रेस दावा कर रही है कि यह जीएसटी- दो नहीं, बल्कि डेढ़ है. वे यह भी दावा कर रहे हैं कि हम पिछले आठ सालों से यही कह रहे थे. आप इस आलोचना को कैसे देखते हैं?
जवाब: जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना ‘गलत जानकारी’ पर आधारित है. वास्तव में देश को बेहतर विपक्षी दल और बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत है. कर की चार दरें रखने का फैसला भाजपा का नहीं था…कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी इस फैसले में शामिल थे. क्या उन्हें (विपक्ष को) इसकी जानकारी नहीं है?” देश को पेड़ कटाई जैसे मुद्दों के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन की तर्ज पर बेहतर विपक्ष और बेहतर विपक्षी नेताओं के लिए भी मुहिम चलाने की जरूरत है.
सवाल: जीएसटी में सुधार एक सराहनीय कदम है. लेकिन राजस्व नुकसान के मुद्दे पर कुछ राज्यों खासकर आठ विपक्षी शासित राज्यों ने चिंता जतायी थी. ऐसे में आम सहमति बनाना कितना मुश्किल रहा.
जवाब: जीएसटी परिषद में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि लोगों को लाभ मिलना चाहिए… हालांकि कुछ राज्य जरूर राजस्व को लेकर चिंतित थे. लेकिन इस बात को लेकर आमसहमति थी कि दरों में कटौती से सभी को फायदा होना चाहिए. जीएसटी दरों में कमी से वस्तुओं के दाम कम होंगे और खपत बढ़ेगी और इससे राजस्व बढ़ने के साथ कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा.
सवाल: जीएसटी दर में कटौती के बाद क्या ऐसा कोई अनुमान लगाया गया है कि मध्यम वर्ग के परिवारों के घर के खर्च में मासिक आधार पर कितनी बचत होगी?
उत्तर: अभी नहीं. लेकिन हम दो-तीन महीने बाद इस बारे में कुछ कह पाएंगे. हमें सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा. 22 सितंबर से लोग खरीदारी शुरू कर देंगे, ठीक वैसे ही जैसे कोविड के बाद तेजी से खरीदारी शुरू हुई थी. यह एक सकारात्मक बात होगी. लेकिन, यह एक चुनौती भी होगी. दिसंबर के बाद, जनवरी-मार्च तिमाही में शायद यही उछाल बरकरार न रहे. इसलिए, यह जानने के बाद ही मैं कह सकती हूं कि जीएसटी दरों में कटौती से किसी परिवार को कितना फायदा होगा.
सवाल: जैसा कि आपने बताया, राज्यों ने राजस्व हानि की चिंता जताई है. घोषणा के दिन आपने कहा था कि इसके परिणामस्वरूप 48,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा. क्या इससे आपके बजट में तय किए गए राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर कोई बाधा आएगी?
जवाब: जीएसटी दरों में कमी के कारण राजस्व में कमी के अनुमान से राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की योजना पर असर नहीं पड़ेगा. जो अनुमान है वह एक स्थिर संख्या है जो आधार वर्ष पर आधारित है, लेकिन जब इसे लागू किया जाता है, तो आधार स्थिति बदल जाती है, आधार वर्ष की स्थिर संख्या बदल जाती है. ऐसे में मुझे लगता है कि 22 सितंबर से खपत में वृद्धि आय को बढ़ाएगी. काफी हद तक, यह 48,000 करोड़ रुपये की राशि हम इसी वर्ष पूरी कर पाएंगे. इसलिए मुझे अपने राजकोषीय घाटे या राजकोषीय प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं दिखता. मैं अपने आंकड़ों पर कायम रहूंगी.”
सवाल: इस बार सरकार ने अपने पहले पूर्ण बजट में आयकर में छूट दी और अब जीएसटी में सुधार किया. सुधारों के मोर्चे पर आने वाले दिनों में और क्या देखने को मिल सकता है?
जवाब: प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड के समय भी संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाया है. वो हमेशा सुधारों की बात करते हैं, लोगों के जीवन को सुगम बनाने की बात उन्होंने ही कही है. और सुधार उनकी प्राथमिकता है. यह जारी रहेगा.
सवाल: जीएसटी दर घटने के बाद उपभोग में वृद्धि होगी. पहली तिमाही की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही. इसको देखते हुए क्या चालू वित्त वर्ष के लिए 6.3-6.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाया जा सकता है?
जवाब: संभव है. बहुत हद तक संभव है.
सवाल: पिछले सप्ताह निर्यातकों ने आपसे मुलाकात की थी, पैकेज की उनकी मांग पर कोई प्रगति हुई है?
जवाब: सरकार में इस पर काम चल रहा है. कई विभाग हैं, हर विभाग संबंधित पक्षों से जुड़े हैं. इसलिए हम उनके सुझाव ले रहे हैं. 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क से प्रभावित निर्यातकों की मदद के लिए कुछ योजनाएं बनाई जा रही हैं.
सवाल: डॉलर के मुकाबले रुपये निचले स्तर पर आ गया है. यह कितनी चिंता की बात है?
जवाब: हम इस पर नजर रख रहे हैं. रुपये में गिरावट केवल डॉलर के संदर्भ में है. यह केवल रुपये का मामला नहीं है और दूसरे मुद्रा में भी है. यह सभी देशों के मामले में है.
सवाल: चीन के साथ स्थिति सामान्य होने के बात देखी जा रही है. हमने उनकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसमें आगे क्या देखने को मिलेगा?
जवाब: चीनी बाजार तक पहुंच के लिए भारत लगातार प्रयास कर रहा है, बातचीत हो रही है. हम पहले से इस पर काम कर रहे हैं. इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है. यह पूरी तरह से व्यापार वार्ता है. इसका प्रेस नोट तीन से कोई लेना-देना नहीं है.”
सवाल: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड्र ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच अच्छे ‘मूड’ में संदेश का आदान-प्रदान हुआ है. अमेरिका से भारत के खिलाफ कड़े रुख के बाद यह हुआ है. इससे क्या संबंध बेहतर होने और शुल्क का मुद्दा दूर होने की उम्मीद है?
जवाब: हम केवल उम्मीद कर सकते हैं.