ठाणे. महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने एक नाबालिग लड़की से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में 28 वर्षीय एक युवक को पांच साल जेल में बिताने के बाद बरी कर दिया. कल्याण की अदालत द्वारा सोमवार को फैसला सुनाए जाने के बाद युवक की मां खुशी से अभिभूत होकर अदालत कक्ष में ही बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश वीएन पात्रावाले ने पुलिस जांच में गंभीर खामियों और पुख्ता सबूतों के अभाव में अल्ताफ खान को बरी कर दिया.
खान का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गणेश घोलप ने अदालत के फैसले के बाद पत्रकारों से कहा, “मेरा मुवक्किल बिना किसी ठोस सबूत के पांच साल से जेल में था. अदालत ने जांच एजेंसियों की कई गलतियां गिनाईं और उसे बरी कर दिया.” उन्होंने कहा, “फैसला सुनाए जाने के समय मौजूद खान की मां, अपने बेटे को इतने सालों बाद रिहा होते देख खुशी के मारे अदालत कक्ष में ही बेहोश हो गईं. उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया.” गणेश ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि खान लिफ्ट तकनीशियन के रूप में काम करता था और 2020 में उसके परिवार का एक पड़ोसी के साथ संपत्ति के किराए को लेकर विवाद हो गया था.
उन्होंने बताया कि विवाद के बाद पड़ोसी की पत्नी ने महात्मा फुले थाने में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया गया कि खान ने उसकी नाबालिग बेटी को अपने घर बुलाया और उसका यौन शोषण किया. वकील के मुताबिक, शिकायत के आधार पर खान को गिरफ्तार कर लिया गया. वकील घोलप ने अपने मुवक्किल के साथ हुए अन्याय की बात का जिक्र किया.
उन्होंने कहा, “हमने दो बार जमानत के लिए अर्जी दी लेकिन दोनों ही अर्जियां खारिज कर दी गईं. इस वजह से अल्ताफ को पांच साल जेल में रहना पड़ा. एक झूठे आरोप के कारण उसके जीवन के सबसे जरूरी साल बर्बाद हो गए.” वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपपत्र तो दाखिल कर दिया लेकिन सबूतों में कई खामियां थीं.
उन्होंने बताया कि मुकदमे के दौरान पीड़िता को अदालत में खान के सामने लाया गया लेकिन वह उसे पहचान तक नहीं पाई.
चिकित्सा अधिकारी ने लड़की की मां द्वारा शिकायत दर्ज कराये जाने की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि अदालत ने आरोपों को निराधार पाया और कहा कि सबूतों से पता चलता है कि घटना वाले दिन खान घर में मौजूद नहीं था.