नयी दिल्ली. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन ए एस साहनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका की तरफ से अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा के बावजूद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं किया है और सिर्फ आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए की खरीद जा रही है. साहनी ने कहा कि आईओसी जैसी रिफाइनिंग कंपनियां रूस से कच्चे तेल की खरीद तभी करती हैं जब कीमत और गुणवत्ता उनके प्रसंस्करण ढांचे के अनुरूप हो.
उन्होंने कहा, ”खरीद पर कोई रोक नहीं है. हम खरीद जारी रखे हुए हैं और यह फैसला सिर्फ आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. खरीद बढ़ाने या घटाने के कोई विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.” अप्रैल-जून तिमाही में आईओसी के कच्चे तेल के कुल प्रसंस्करण में रूस की हिस्सेदारी 22-23 प्रतिशत रही. रूस के यूराल ग्रेड कच्चा तेल पर पहले 40 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट मिल रही थी, जो पिछले महीने घटकर 1.5 डॉलर रह जाने से आयात कम हो गया. अब यह छूट करीब 2.70 डॉलर प्रति बैरल है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने पर पिछले सप्ताह भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत आयात शुल्क की घोषणा की थी, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है. इसके बाद रूस से तेल आयात घटाने पर चर्चा शुरू हो गई है. साहनी ने कहा, ”रूसी कच्चे तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं है. भारत ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है जो किसी प्रतिबंध का उल्लंघन करे.” भारत 2022 से ही रूसी कच्चे तेल का बड़ा ग्राहक बनकर उभरा है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने रियायती दरों पर तेल बेचना शुरू कर दिया था.
फरवरी, 2022 से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी, जो अब 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है. सार्वजनिक क्षेत्र की एक अन्य पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक (वित्त) वी रामकृष्ण गुप्ता ने कहा कि जून तिमाही में रूसी तेल की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत रही और कोई प्रतिबंध न लगने पर यह 30-35 प्रतिशत के स्तर पर बनी रहने की उम्मीद है.