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Home»Country»श्रीनगर सर्किट हाउस में बड़ा ड्रामा, फारूक को संजय सिंह ने नहीं मिलने दिया गया
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श्रीनगर सर्किट हाउस में बड़ा ड्रामा, फारूक को संजय सिंह ने नहीं मिलने दिया गया

Team RashtrawaniBy Team RashtrawaniSeptember 11, 2025No Comments5 Mins Read
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श्रीनगर सर्किट हाउस में बड़ा ड्रामा, फारूक को संजय सिंह ने नहीं मिलने दिया गया
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श्रीनगर. श्रीनगर के र्सिकट हाउस में बृहस्पतिवार को उस समय नाटकीय दृश्य देखने को मिला जब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह से मिलने से रोक दिया गया. सिंह को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत आप विधायक मेहराज मलिक को हिरासत लिये जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने से रोकने के लिए परिसर के अंदर बंद कर दिया गया था.

पुलिस ने गेस्ट हाउस का गेट बंद कर दिया जिससे दोनों नेता (फारूक अब्दुल्ला एवं सिंह) एक दूसरे से मिल नहीं पाये. फारूक अब्दुल्ला ने इसे संवैधानिक मूल्यों पर ‘सीधा हमला’ बताया. सिंह अपनी पार्टी के सहयोगी और डोडा विधायक मेहराज मलिक की हाल ही में जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिये जाने एवं गिरफ्तार किये जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले थे. नेशनल कांन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला एकजुटता दिखाने के लिए वहां पहुंचे थे, लेकिन उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया.

निराश अब्दुल्ला ने कहा, ”यहां का यह हाल है. चुनी हुई सरकार तो है, लेकिन लगता है कि इसकी डोर उपराज्यपाल (मनोज सिन्हा) के पास है.” उन्होंने पाबंदियों की आलोचना करते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन करना एक संवैधानिक अधिकार है और उपराज्यपाल अपनी शक्तियों का ‘दुरुपयोग’ कर रहे हैं.

गेट के दूसरी तरफ, राज्य सभा सदस्य सिंह ने पुलिस से सवालिये लहजे में कहा, ” वह एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं. मैं एक सांसद हूं. क्या समस्या है? क्या गुनाह है? क्या आप कह रहे हैं कि दो सांसद आपस में दुआ-सलाम भी नहीं कर सकते?” सिंह प्लास्टिक की कुर्सी पर खड़े होकर पुलिस से बहस कर रहे थे, जबकि फारूक अब्दुल्ला गेट के बाहर खड़े थे. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ”वह यहां पत्थर फेंकने या बंदूक चलाने नहीं आए हैं. वह बस संविधान के दायरे में रहकर बोलना चाहते हैं.” हालांकि, पुलिस अपने रूख पर अडिग रही. दोनों नेताओं ने बंद गेट के आर-पार ही एक-दूसरे से बात की.

बाद में, फारूक अब्दुल्ला ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से बात करते हुए सिंह से मिलने से रोके जाने के बाद क्षेत्र में लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. इस घटना को ”संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला” बताते हुए, वरिष्ठ नेता ने कहा, ”मुझे इस बात का दुख है कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.”

उन्होंने कहा, ”हर किसी को अपनी बात कहने की आज.ादी है. न कोई पथराव हुआ, न कोई बमबारी. वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने आए थे, लेकिन उसकी भी अनुमति नहीं दी गई. संजय सिंह अपने गिरफ़्तार विधायक मेहराज मलिक के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने यहां आए थे. मैं तो बस यह देखने गया था कि वे कैसे हैं, संसद के एक पुराने दोस्त से मिलने गया था. लेकिन दरवाजे बाहर से बंद हैं.” अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है और वह ‘ऊपर से मिले आदेश’ पर काम कर रही है. हालांकि, उन्होंने मुलाकात को रोकने और सिंह को हिरासत में लेने के फैसले को लोकतांत्रिक सिद्धांतों का ‘स्पष्ट उल्लंघन’ बताया.

उन्होंने कहा,”मैं लंबे समय से अनुरोध कर रहा हूं कि हमें संविधान की सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए. आज जो हुआ वह पूरी तरह से संविधान के विरुद्ध था.” नेशनल कांन्फ्रेंस प्रमुख ने मेहराज मलिक को पीएसए के तहत हिरासत में लिए जाने को ‘अति प्रतिक्रिया’ बताया.

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”डोडा के विधायक के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल गलत है. और अब आपने एक राज्यसभा सदस्य को अवैध रूप से हिरासत में लेकर इस गलती को और बड़ा बना दिया है. क्या आपने उन्हें हिरासत में लेने का कोई आदेश दिया है?” उन्होंने कहा, ”यह जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है और इससे जो संदेश जा रहा है वह भी अच्छा नहीं है. जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें अपने कृत्यों पर पुर्निवचार करना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”अगर आपको उनके (विधायक के) व्यवहार पर आपत्ति थी, तो इसे विधानसभा सचिवालय या अध्यक्ष के समक्ष उठाया जा सकता था. लेकिन पीएसए का इस्तेमाल गलत है.” मलिक के पिता से मुलाकात के बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.

उन्होंने कहा, ”आप नेताओं को मेरी सलाह है कि वे ऐसे वकील को नियुक्त करें जो पीएसए को समझता हो और ऐसे मामलों से जुड़ा रहा हो. यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी लागू नहीं है. अगर वे बाहर से वकील लाते हैं, तो उसे कानून समझने में समय लगेगा.” उन्होंने कहा, ”मैंने कुछ वकीलों से बात की है… मुझे खुद 2020 में पीएसए के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी थी. मैंने यहां एक वकील को नियुक्त किया जिन्होंने उच्चतम न्यायालय में मामला लड़ा था.” मुख्यमंत्री ने नेताओं की नजरबंदी को तथ्य के बजाय दावे के रूप में पेश करने के लिए मीडिया पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ”आप ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जैसे संजय सिंह झूठ बोल रहे हों. यह उनका दावा नहीं, बल्कि सच्चाई है. चैनल और अखबार बार-बार कहते हैं कि हम (नेता) दावा कर रहे हैं… जबकि यह दावा नहीं, बल्कि सच्चाई है.” उमर अब्दुल्ला ने 13 और 14 जुलाई की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि वे दावे नहीं, बल्कि हकीकत हैं.

उन्होंने कहा, ”13 जुलाई को हमने यह दावा नहीं किया था कि हमें हिरासत में लिया गया है, बल्कि हमें हिरासत में लिया गया था. 14 जुलाई को हमने यह दावा नहीं किया था कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ है, बल्कि हमारे साथ दुर्व्यवहार हुआ. और आज भी यह हकीकत है कि संजय सिंह को हिरासत में लिया गया है. इसके क्या कारण हैं? यह तो वही लोग बता सकते हैं जो इस फैसले के पीछे हैं.” अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने वाला उपराज्यपाल प्रशासन दावा करता है कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक है. मुख्यमंत्री ने कहा, ”वे दावा करते हैं कि माहौल अच्छा है और लोग खुश हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे मनमानी के अलावा कुछ नहीं करते. उन्होंने हमारे साथ भी ऐसा किया, उन्होंने मेहराज मलिक को गिरफ्तार करने के लिए गलत कानून का इस्तेमाल किया क्योंकि गिरफ्तारी का कोई कारण नहीं है.”

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