नयी दिल्ली. वैश्विक व्यापार अस्थिरता और अमेरिकी शुल्क दबावों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 20.7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकती है और 2038 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकती है. ईवाई ने एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है.

पेशेवर सेवा कंपनी ईवाई ने बुधवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत इस समय चीन और अमेरिका के बाद क्रय शक्ति समता के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पीपीपी के संदर्भ में 14.2 लाख करोड़ डॉलर रहा जो बाजार विनिमय दरों पर आंकी गई अर्थव्यवस्था से लगभग 3.6 गुना अधिक है. ईवाई का आकलन है कि भारत एवं अमेरिका के क्रमश? 6.5 प्रतिशत एवं 2.1 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर बनाए रखने की स्थिति में भारत 2038 तक पीपीपी के संदर्भ में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ सकता है. उस समय भारत की जीडीपी 34.2 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी.

इस दौरान वर्ष 2028 तक भारत बाजार विनिमय दरों पर जर्मनी को पछाड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है.
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा, “युवा एवं कुशल कार्यबल, मजबूत बचत एवं निवेश दर और टिकाऊ ऋण प्रोफ.ाइल जैसी भारत की तुलनात्मक मजबूती, वैश्विक अस्थिरता के बावजूद उच्च वृद्धि दर को बनाए रखने में मददगार होंगी. भारत जरूरी प्रौद्योगिकियों में क्षमताएं विकसित कर ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है.” हालांकि यह रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत शुल्क लगा देने से भारत की जीडीपी को 0.9 प्रतिशत तक का झटका लग सकता है. हालांकि यदि एक-तिहाई प्रभाव मांग में कमी के रूप में आता है, तो कुल प्रभाव जीडीपी के 0.3 प्रतिशत तक सीमित रह सकता है.

ईवाई की रिपोर्ट के मुताबिक, उचित नीतिगत उपायों के सहारे इस प्रभाव को जीडीपी के केवल 0.1 प्रतिशत तक भी सीमित रखा जा सकता है. ऐसा होने पर चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से घटकर 6.4 प्रतिशत तक रह सकती है. रिपोर्ट कहती है कि उच्च अमेरिकी शुल्क का प्रभाव भारतीय निर्यात के 48 अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाले उत्पादों पर पड़ेगा. इनमें वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते-चप्पल, रसायन, पशु उत्पाद और यांत्रिक व विद्युत मशीनरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं. हालांकि दवा, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर यह शुल्क लागू नहीं है.

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