मुंबई. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे बुधवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर अपने चचेरे भाई एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के आवास ‘शिवतीर्थ’ पहुंचे. राज हर साल मुंबई के दादर इलाके स्थित अपने आवास पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं. शिवसेना (उबाठा) नेता उद्धव ठाकरे के साथ उनकी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य ठाकरे भी थे.
उद्धव का राज के घर जाना राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच सुलह का एक और मजबूत संकेत देता है. करीब दो माह पूर्व दोनों भाई कई साल बाद एक ही मंच पर साथ आए थे. शिवसेना (उबाठा) ने बाद में ‘एक्स’ पर गणेश चतुर्थी के अवसर पर ठाकरे परिवार के सभी सदस्यों की एक साथ तस्वीर साझा की.
उद्धव और राज चचेरे भाइयों के साथ ही मौसेरे भाई भी हैं. दोनों के पिता सगे भाई और माताएं भी सगी बहनें थीं. एक तस्वीर में राज और उद्धव ठाकरे अपने दादा केशव तथा अपने पिता क्रमश: श्रीकांत और बाल ठाकरे की तस्वीर के पीछे खड़े हैं. फोटो के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि ठाकरे परिवार एक साथ है, जबकि दोनों चचेरे भाई दो दशकों से अपनी अलग राजनीतिक राह पर चलते आ रहे हैं. दोनों के बीच पिछले कुछ महीने में यह सार्वजनिक रूप से ज्ञात कम से कम तीसरी मुलाकात है.
महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले से संबंधित सरकारी आदेश को राज्य में ”हिंदी थोपने” के आरोपों के बीच वापस लेने के बाद दोनों ने पांच जुलाई को अपनी ”जीत” का जश्न मनाने के लिए एक साथ मंच साझा किया था. राज पिछले महीने उद्धव को उनके जन्मदिन की शुभकामना देने के लिए बांद्रा स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ गए थे.
राज ठाकरे ने 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ दी थी और इसके लिए उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन लगता है कि 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (उबाठा) और मनसे की करारी हार ने दोनों प्रतिद्वंद्वी चचेरे भाइयों को राजनीतिक अस्तित्व के लिए हाथ मिलाने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है.
दोनों दलों ने बृहन्मुंबई नगर निगम समेत राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए गठबंधन बनाने के पर्याप्त संकेत दिए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक औपचारिक गठबंधन की घोषणा नहीं की है. साल 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ने के बाद, राज ठाकरे ने 2006 में मनसे का गठन किया, लेकिन यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में काफी हद तक हाशिये पर रही है. दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे 2013 में अध्यक्ष बनने के बाद से शिवसेना का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका जून 2022 में विभाजन हो गया. उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर पहुंचे जब वह कांग्रेस और अविभाजित राकांपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने.