नयी दिल्ली. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि बीते नौ सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में कथित ‘क्रॉस-वोटिंग’ की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह एक गंभीर मामला है. तिवारी ने यह भी कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों को भी आत्मचिंतन करना चाहिए क्योंकि ‘क्रॉस-वोटिंग’ संबंधित दलों के ”नेतृत्व की विफलता” का भी संकेत देती है.

उनका कहना था, ”क्रॉस-वोटिंग के तीन आयाम हैं. पहला आयाम लालच है. दूसरा विश्वासघात और तीसरा, यह नेतृत्व की विफलता है. इसलिए अगर ‘क्रॉस-वोटिंग’ हुई है, तो यह एक गंभीर मामला है. हर पार्टी के नेतृत्व को इसकी जांच और आत्मचिंतन करना चाहिए.” उन्होंने यह भी कहा कि वह इस विषय पर विस्तार से कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.

कई भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कम से कम 15 विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रीय जनंतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को वोट दिया था. उन्होंने यह भी दावा किया है कि विपक्ष और किसी गठबंधन में नहीं होने वाली छोटी पार्टियों के 35 से ज़्यादा सांसदों ने राजग उम्मीदवार को वोट दिया. राधाकृष्णन ने कुल 752 वैध मतों में से 452 मत प्राप्त करके चुनाव जीता, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 मत मिले. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में कुल 767 वोट पड़े थे, जिनमें 15 अवैध करार दिए गए.

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