जोधपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मणिपुर में गृह मंत्रालय और कुकी संगठनों के बीच हुए हालिया समझौते का स्वागत करते हुए रविवार को उम्मीद जताई कि इस पूर्वोत्तर राज्य में शीघ्र ही पूरी तरह शांति और सौहार्द कायम होगा. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने यहां आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही.

उन्होंने कहा, ”हम देख रहे हैं कि पूर्वोत्तर में अलगाववाद और हिंसा कम हुई है. काफी सारे क्षेत्र में प्रगति व विकास का माहौल बना हुआ है. लोग भी उस दृष्टि से आगे बढ़ रहे हैं. अलग-अलग जनजातियों व लोगों में सौहार्द बना रहे इस दृष्टि से जो प्रयास कई वर्षों से चल रहे थे उसके भी कई सारे परिणाम दिख रहे हैं.” आंबेकर ने कहा, “मणिपुर में विशेषकर मेइती और कुकी समुदाय में एक विवाद उत्पन्न हो गया था जिसके परिणामस्वरूप काफी हिंसा हुई. संघ लगातार उसके लिए चिंता कर रहा था. उस दृष्टि से दोनों समुदाय की आपस में बातचीत होकर सौहार्द बने इसके लिए संघ और उसके विविध संगठनों द्वारा लगातार इस दिशा में प्रयास किए जा रहे थे.”

उन्होंने कहा, ”ये बहुत अच्छी बात है कि अभी गृह मंत्रालय द्वारा जो विशेष समझौता वहां के कुकी संस्थाओं के साथ हुआ है. उसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग (02) मेइती समुदाय के लोगों के लिए भी आने-जाने के लिए खुल गया है. शांति की दृष्टि से यह अच्छा संकेत है. स्वागत योग्य है. और हम आशा कर रहे हैं कि शीघ्र ही वहां पूरी तरह शांति व सौहार्द आए.” आंबेकर ने कहा, ”यह एक लंबा रास्ता है परंतु निश्चित रूप से आशा है कि शीघ्र ही अनुकूल परिस्थिति वहां बनेगी.”

आंबेकर ने कहा, “संघ की समन्वय बैठक में पंजाब राज्य में बढ़ते मतांतरण और युवाओं में फैलते नशे को लेकर चिंता व्यक्त की गई और सेवा भारती व विद्यार्थी परिषद द्वारा समाज जागृति और नशा मुक्ति अभियानों की जानकारी दी गई.” उन्­होंने कहा कि बैठक में पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ और नागरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियों पर गंभीर चिंता जताई गई, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में घटती हिंसा और बढ़ते विकास के संकेतों को सकारात्मक माना गया. जनजातीय क्षेत्रों के संदर्भ में बताया गया कि नक्सली और माओवादी हिंसा में कमी आई है, परंतु समाज को भ्रमित करने के प्रयास अभी भी जारी हैं. वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा छात्रावासों और जनजातीय अधिकारों पर किए गए कार्यों का उल्लेख किया गया तथा जनजातीय समाज तक भारतीय परंपरा और राष्ट्रीय विचार पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

उन्होंने कहा कि बैठक में शिक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, विद्या भारती, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, भारतीय शिक्षण मंडल और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित विभिन्न संगठनों ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के अनुभव साझा किए.

उन्होंने कहा कि शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई को प्रोत्साहित करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास हो रहे हैं. भारतीय ज्ञान परंपरा और शिक्षा के भारतीयकरण हेतु पुस्तकों के पुनर्लेखन और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी कार्य प्रगति पर है. महिला सहभागिता पर विशेष बल देते हुए आंबेकर ने बताया कि क्रीड़ा भारती द्वारा महिला खिलाड़ियों में योग-ज्ञान और अध्ययन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

भाषा के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए और सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान आवश्यक है. अंग्रेजी का विरोध नहीं है, किंतु भारतीय भाषाओं को शिक्षा और शासन में उचित स्थान मिलना चाहिए. इस तीन दिवसीय बैठक (5-7 सितंबर) में संघ के 32 संगठनों के अखिल भारतीय पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी इसमें शामिल हुए.

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version