नागपुर. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे के पांच दिन से जारी अनशन समाप्त करने के कदम की मंगलवार को सराहना की और कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय के हित में समाधान ढूंढ लिया है.
फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा मराठा समुदाय के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया है. कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी ज्यादातर मांगों को स्वीकार करने के बाद अपना अनशन खत्म कर दिया.

सरकार ने जरांगे की जिन मांगों को स्वीकार किया है, उसमें पात्र मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है. इससे मराठा समुदाय के लोग ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण लाभ के पात्र हो जाएंगे. जरांगे (43) ने भाजपा के वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, जो मराठा आरक्षण पर मंत्रिमंडलीय उप-समिति के प्रमुख हैं, तथा समिति के अन्य सदस्यों द्वारा दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में दिया गया फलों का रस स्वीकार किया और इसके साथ ही उनका अनशन समाप्त हो गया. आजाद मैदान 29 अगस्त से जरांगे का आंदोलन स्थल था.

इस बारे में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उन्हें खुशी है कि जरांगे ने अपना अनशन खत्म कर दिया. उन्होंने कहा, “मैं उप-मुख्यमंत्रियों (एकनाथ शिंदे और अजित पवार) के साथ-साथ राधाकृष्ण विखे पाटिल को भी धन्यवाद देता हूं.” फडणवीस ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि जाति प्रमाण पत्र व्यक्तियों को दिया जा सकता है, समुदाय को नहीं. उन्होंने कहा कि जब आप राजनीति में हों, तो आलोचना से आपको विचलित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने समुदाय के कल्याण के लिए काम किया है.

मुख्यमंत्री ने कहा, “मेरा उद्देश्य मराठा समुदाय को न्याय दिलाना है. मेरी सरकार हमेशा मराठों के कल्याण पर केंद्रित रही है और मैं महाराष्ट्र के सभी समुदायों के लिए काम करता रहूंगा, चाहे वे मराठा हों या ओबीसी.” उन्होंने कहा, “हमने उन्हें (जरांगे) उनकी मांगों से जुड़े कानूनी मुद्दों से अवगत कराया.” फडणवीस ने कहा कि मराठों को आरक्षण देने को लेकर ओबीसी में कुछ गलतफहमी है, लेकिन यह गलत है.

महाराष्ट्र ने हैदराबाद गजट पर आदेश जारी किया, मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए पैनल गठित

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को हैदराबाद गजट पर एक आदेश जारी किया और उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने में मदद के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की जो खुद को कुनबी के रूप में मान्यता देने वाले दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने में सक्षम हों.

सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग ने सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया है. यह आदेश कैबिनेट मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल और मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के बीच वार्ता में सफलता की पृष्ठभूमि में जारी किया गया है. जरांगे मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर थे.

जीआर में कहा गया, ” हैदराबाद गजट में निहित ऐतिहासिक संदर्भों के अनुसार दस्तावेजों को सत्यापित करने और कुनबी जाति प्रमाणपत्र के लिए मराठा समुदाय के व्यक्तियों की पात्रता स्थापित करने के लिए एक सर्मिपत जांच प्रक्रिया अपनायी जाएगी. समिति यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक दावे का समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन किया जाए.” जरांगे की मांग है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, यह एक कृषि जाति है जो राज्य में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में शामिल है.मराठों को कुनबी के रूप में वर्गीकृत करने से वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र हो जायेंगे.

सरकारी आदेश के अनुसार इस पैनल में ग्राम सेवक, तलाठी (राजस्व अधिकारी) और सहायक कृषि अधिकारी सदस्य होंगे. ये अधिकारी मराठा समुदाय के आवेदकों के दस्तावेज़ी दावों का सत्यापन करेंगे और सक्षम प्राधिकारी को इसकी जानकारी देंगे. इसमें कहा गया है, ” सरकार का इरादा उन सभी मराठा दावेदारों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र प्रदान करना है, जो आधिकारिक दस्तावेजों के माध्यम से अपनी वंशावली प्रर्दिशत कर सकें. इससे वे कानूनी रूप से आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.”

हैदराबाद गजट या राजपत्र, हैदराबाद की तत्कालीन निजाम सरकार द्वारा 1918 में जारी एक आदेश को संर्दिभत करता है जिसमें मध्य महाराष्ट्र के वर्तमान मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल थे. यह गजट पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य के कुछ मराठा समुदाय समूहों सहित कुछ समुदायों को कुनबी के रूप में वर्गीकृत करता है जिन्हें महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में शामिल किया गया है. हैदराबाद गजट के कार्यान्वयन से मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को प्रभावी रूप से कुनबी का दर्जा मिलेगा, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र हो जाएंगे.

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