सनातन धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना जाता है। पूजा-पाठ से लेकर शुभ कार्यों में इसका इस्तेमाल सदियों से होता आया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शंख सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि इसे नियमित रूप से बजाने से हमारे स्वास्थ्य को भी कई लाभ मिलते हैं?

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि शंख बजाना एक तरह का बेहतरीन व्यायाम है जो शरीर और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखता है। आइए जानते हैं शंख बजाने के कुछ अद्भुत फायदे और इसे बजाने का सही तरीका।


1. फेफड़ों के लिए फायदेमंद

शंख बजाते समय हमें गहरी सांस लेनी पड़ती है और फिर उसे पूरी ताकत से बाहर निकालना होता है। यह प्रक्रिया फेफड़ों के लिए किसी एक्सरसाइज से कम नहीं है। रोजाना शंख बजाने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, जिससे सांस से जुड़ी समस्याएं जैसे कि अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में आराम मिल सकता है।

2. तनाव और चिंता कम करने में सहायक

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या है। शंख बजाना एक तरह का प्राणायाम है। जब आप शंख बजाते हैं, तो शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है और मन शांत होता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।

3. पाचन तंत्र होता है मजबूत

शंख बजाते समय पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इस दबाव से पेट के अंदरूनी अंगों की मालिश होती है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। यह कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में भी मददगार हो सकता है।

4. चेहरे की मांसपेशियों को मिलती है मजबूती

शंख बजाने से चेहरे, गर्दन और जबड़े की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है। यह एक तरह का फेशियल योग है, जिससे चेहरे की मांसपेशियां टोन होती हैं और झुर्रियां कम हो सकती हैं।


शंख बजाने का सही तरीका

शंख बजाने का सही तरीका अपनाना बेहद जरूरी है ताकि आपको इसके पूरे लाभ मिल सकें।

  1. सीधा और सही posture: शंख बजाते समय हमेशा सीधी मुद्रा में बैठें या खड़े हों। कमर सीधी रखें और सीने को फुलाकर सांस लें।
  2. गहरी सांस लें: शंख बजाने से पहले एक गहरी सांस लें और हवा को फेफड़ों में भरें।
  3. धीरे-धीरे हवा छोड़ें: अब होठों को शंख के मुख पर लगाकर धीरे-धीरे और लगातार हवा छोड़ें, ताकि मधुर ध्वनि निकले। एक ही बार में सारी हवा न छोड़ें।
  4. नियमितता है जरूरी: स्वास्थ्य लाभ के लिए रोजाना सुबह और शाम कम से कम 5 से 10 मिनट तक शंख बजाने का अभ्यास करें।

शंख को सिर्फ पूजा का हिस्सा न मानें, बल्कि इसे अपनी दैनिक जीवनशैली में एक स्वस्थ आदत के रूप में शामिल करें। इसके नियमित अभ्यास से आप निश्चित रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ और शांत महसूस करेंगे।

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