बेंगलुरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के विपणन प्रमुख निखिल सोसले को अंतरिम राहत नहीं दी तथा मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए स्थगित कर दी. सोसले को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ के सिलसिले में छह जून को गिरफ्तार किया गया था. उच्च न्यायालय ने पुलिस को आरसीबी और इवेंट पार्टनर डीएनए एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ 12 जून तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया और मामले की अगली सुनवाई उसी दिन तय कर दी. अपनी याचिका में सोसले ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देश पर गिरफ्तार किया गया था.

आरसीबी और डीएनए ने चार जून को आरसीबी के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जीतने के जश्न के दौरान हुई भगदड़ के संबंध में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. न्यायमूर्ति एस.आर. कृष्ण कुमार ने मामले की सुनवाई 12 जून के लिए निर्धारित की है.

न्यायाधीश ने राज्य सरकार को अनावश्यक गिरफ्तारियों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, “यह भद्र लोगों में आम समझ है – जब तक हम मामले को अपने हाथ में नहीं ले लेते, तब तक कुछ भी मत कीजिए.” अदालत ने यह भी कहा कि पहले से ही गिरफ्तार सोसले से संबंधित याचिका पर 10 जून को सुबह 10.30 बजे अलग से सुनवाई की जाएगी.

सोमवार को सोसले के वकील ने अदालत के समक्ष दलील दी कि केंद्रीय अपराध शाखा के अधिकारियों ने आरसीबी अधिकारी को इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था. आरसीबी के अधिकारी को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वह दुबई जा रहे थे. भगदड़ के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया.

सोसले की याचिका में छह जून की सुबह उनकी गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाया गया था और आरोप लगाया गया था कि पुलिस की कार्रवाई राजनीतिक निर्देशों से प्रभावित थी. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कृष्ण कुमार ने गिरफ्तारी के पीछे अधिकार क्षेत्र, प्रक्रिया और राजनीतिक प्रभाव से जुड़े प्रमुख सवालों पर ध्यान केंद्रित किया.

सोसले के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश चौटा ने तर्क दिया कि छह जून को तड़के साढ.े चार बजे की गई गिरफ्तारी का कोई कानूनी आधार नहीं था. चौटा ने कहा, “पहला सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री ने गिरफ्तारी का निर्देश जारी किया था? दूसरा सवाल यह है कि क्या पुलिस अधिकारियों के पास सोसले को गिरफ्तार करने का अधिकार था.” उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) द्वारा की गई थी, न कि मामले की जांच करने वाली पुलिस इकाई द्वारा. उन्होंने कहा, “गिरफ्तारी के समय, गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति को कारण और गिरफ्तार करने वाले अधिकारी की पहचान बताई जानी चाहिए. इनमें से किसी का भी पालन नहीं किया गया.”

चौटा ने आरोप लगाया, “यह गिरफ्तारी किसी जांच के मद्देनजर नहीं हुई है, बल्कि केवल इसलिए हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा कुछ निर्देश जारी किए गए थे.” उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना में कोई आपराधिक मंशा नहीं थी, यह एक उत्सवपूर्ण आयोजन था जहां दुर्घटना हो गयी. चौटा ने यह भी बताया कि पांच जून को अपराह्न ढाई बजे तक कर्नाटक ने स्वयं अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था कि जांच सीआईडी ??को स्थानांतरित कर दी गई है, जिससे सीसीबी के अधिकार क्षेत्र पर संदेह पैदा हो गया.

उन्होंने कहा, “जब मामला सीआईडी ??को स्थानांतरित कर दिया गया था तो सीसीबी इसमें कैसे शामिल हो गई? यहां तक ??कि हिरासत आवेदन में भी स्वीकार किया गया कि अब सीआईडी ??मामले की जांच कर रही है.” राज्य की ओर से महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी ने व्यापक तर्कों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये मूल याचिका के दायरे से बाहर हैं.

उन्होंने कहा, “सोसाले की याचिका में इनमें से कोई भी बात नहीं है. मुझे नोटिस दिया जाना चाहिए. यह 38 पृष्ठ का ज्ञापन याचिका में दी गई जानकारी से कहीं अधिक है.” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को जवाब देने के लिए समय चाहिए. जब न्यायाधीश ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री ने खुले तौर पर कहा है कि गिरफ्तारियां की जाएंगी, तो अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्हें इसकी पुष्टि करनी होगी और मूल रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश करने होंगे.

गिरफ्तारी के समय का बचाव करते हुए शेट्टी ने कहा, “अधिकारी केवल अपना काम कर रहे थे. ऐसा नहीं है कि वह किसी रेस्तरां में दोपहर का भोजन कर रहे थे. वह सुबह 5 बजे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना होने वाले थे – उन्हें क्या करना चाहिए?” उन्होंने कहा कि सोसले की हिरासत पहले ही हो चुकी है, इसलिए अंतरिम राहत की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “अंतरिम आदेश अंतिम आदेश से ज्यादा नहीं हो सकता.” इसके बाद न्यायाधीश ने टिप्पणी की: “एक पल के लिए सीआईडी ??को भूल जाइए – इसमें कहा गया है कि कब्बन पार्क पुलिस ने मामला अशोक नगर पुलिस को सौंप दिया, जिसने फिर सीसीबी से गिरफ्तारी का अनुरोध किया. मुद्दा यह है कि एक बार मामला सीआईडी ??को सौंप दिए जाने के बाद, क्या किसी और के पास अधिकार क्षेत्र था?” आरसीबी के मालिक रॉयल चैलेंजर्स स्पोर्ट्स लिमिटेड (आरसीएसएल) ने दलील दी है कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है.

डीएनए ने अपनी याचिका में कहा कि यह घटना पुलिस द्वारा भीड़ प्रबंधन में विफलता के कारण हुई. इसने यह भी दावा किया कि अधिकतर पुलिसकर्मी विधान सौध में तैनात थे, जिससे स्टेडियम में भीड़ उमड़ने के बावजूद कम संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे.

बेंगलुरु भगदड़: आईपीएस अधिकारी ने निलंबन को चुनौती देते हुए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण का रुख किया

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के सिलसिले में निलंबित किये गए पांच अधिकारियों में से एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण का रुख किया है. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को दी. सूत्रों ने बताया कि विकास अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पश्चिम) के पद पर तैनात थे और उन्होंने पिछले सप्ताह अधिकरण का रुख किया. सूत्रों ने बताया कि अधिकरण आगामी कुछ दिनों में इस मामले पर सुनवाई कर सकता है.

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पांच जून को पांच अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था, जिनमें कब्बन पार्क पुलिस थाने के र्सिकल पुलिस इंस्पेक्टर ए के गिरीश और सहायक पुलिस आयुक्त सी बालकृष्ण, केंद्रीय संभाग के पुलिस उपायुक्त शेखर एच टेक्कन्नावर और बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त दयानंद शामिल थे.

पुलिस अधिकारियों के निलंबन का बचाव करते हुए सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभायी, उन्हें निलंबित किया गया है. निलंबन आदेश में कहा गया है, ”यह पाया गया है कि इन अधिकारियों द्वारा कर्तव्य के प्रति काफी लापरवाही बरती गई है.” भगदड़ चार जून को स्टेडियम के सामने हुई थी, जहां रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) टीम की आईपीएल जीत के जश्न में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे. भगदड़ की घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

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