इस माह भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थापना के 44 वर्ष पूर्ण कर चुकी है भारतीय जनता पार्टी की इस यात्रा में जनसंघ के उन महान हुतात्माओं का अविस्मरणीय योगदान है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संगठन को गढ़ने के लिए संघर्ष के हर थपेड़ों को नि:स्वार्थ भाव से वरण किया है। पुरखा के सुरता में इस बार हम बात कर रहे हैं, डॉक्टर भानु प्रताप गुप्ता जी की। एक ऐसे समाजसेवी, संगठनकर्ता और नेता जिन्होंने राष्ट्र के लिए तन-मन-धन समर्पित कर दिया। बांग्लादेश सत्याग्रह और मीसाबंदी के रूप में वह जेल भी गए। आइए जानते हैं उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिली प्रेरणा

डॉक्टर भानु प्रताप गुप्ता जी का जन्म 3 अप्रैल 1938 को मुंगेली जिला में पिता श्री आनंद जी गुप्ता, माता श्रीमती उर्मिला देवी गुप्ता के यहां हुआ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हाई स्कूल एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मुंगेली में हुई। अभाव में रह कर भी अपने सपनों को पंख देने वह रायपुर आ गए। यहां उन्होंने बीएएमएस की पढ़ाई आयुर्वेदिक कॉलेज रायपुर में की। श्री भानुजी के भीतर राष्ट्र के अपने सामाजिक दायित्व का बोध बाल्यकाल से था। सामाजिक सेवा की प्रेरणा उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिली। 1947 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। स्कूली शिक्षा के साथ वह संघ कार्य भी करते रहे। मई 1960 में उन्होंने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया। 1959 में शासकीय चिकित्सा विभाग में नियुक्त हुए। पहली पदस्थान तत्कालिन जनपद मुंगेली में हुई। शासकीय सेवा में आने के पश्चात 1960 में श्रीमती चंद्रकांता के साथ विवाह किया। समाज सेवा और व्यवसाय के बीच संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से 1964 में शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर ग्राम पथरिया में निजी चिकित्सालय का शुभारंभ करना उचित समझा। यह निजी चिकित्सालय भी गरीब और असहाय वर्ग के लिए प्रकल्प की तरह रहा। उनके परिजन आज भी महामाई वार्ड मुंगेली जिला बिलासपुर वर्तमान जिला मुंगेली में रहते हैं।

बांग्लादेश सत्याग्रह में पहली बार गए जेल

डॉ.भानु जी ने जनसंघ के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को जनसंघ की विचारधारा से अवगत कराया। 1971 दिल्ली बांग्लादेश सत्याग्रह में सम्मिलित होने की वजह से जेल की सजा भी काटनी पड़ी। वह तिहाड़ जेल में बंद रहे। 1975 मीसाबंदी में के रूप में जेल गए।

राज्यमंत्री के रूप में सफल कार्यकाल

छत्तीसगढ़ में जनसंघ के प्रारंभिक नेताओं में शामिल श्री भानु प्रताप जी 1977 के चुनाव में पथरिया विधानसभा से निर्वाचित हुए। 1980 में मध्य प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने शासकीय अस्पतालों के गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया। स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना पर विशेष जोर दिया। श्री भानु प्रताप जी एक नेता के साथ सार्वजनिक जीवन में सामाजिक कार्यक्रमों व प्रकल्पों को विकसित करने में हमेशा उत्साहित रहते थे। 1983 में बड़ा बाजार मुंगेली में वासुदेव योग आश्रम के निर्माण तथा 1990 में अपने पूज्य श्री सदगुरुदेव हेतु ध्यान योग्य आश्रम समाधि स्थल निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्री भानु जी 1977 एवं 1990 में मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम में संचालक मंडल के सदस्य मनोनित हुए।…..सभा अध्यक्ष द्वारा विशिष्ट प्रतिभा के रूप में गौरव का सम्मान प्रदान किया गया। मध्य प्रदेश भूदान भू अर्जन समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने हमेशा जनहित को प्रमुखता दी। वह भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न संगठनात्मक दायित्वों में रहे। जिला बिलासपुर में उपाध्यक्ष के साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य का दायित्व उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया।

सामाजिक संगठनों में सक्रिय भूमिका

वह समय-समय पर सार्वजनिक जीवन में अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे। इनमें कोर्ट मेंबर रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर, डायरेक्टर को-ऑपरेटिव बैंक बिलासपुर, अध्यक्ष लायंस क्लब मुंगेली, मैनेजर भरा साहू धर्मशाला ट्रस्ट मुंगेली, अध्यक्ष महाकौशल शिक्षण समिति बिलासपुर, अध्यक्ष योग साधना केंद्र मुंगेली प्रमुख हैं।

मेरे लिए पिता तुल्य : श्री अरुण साव, मा. उपमुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

मेरे लिए श्री भानुप्रताप गुप्ता जी पिता तुल्य थे। हमेशा पुत्रवत उनका आशीर्वाद व मार्गदर्शन रहा। वह हमेशा निर्भीकता से निर्णय लेते थे। अविभाजित मध्यप्रदेश में श्री पटवाजी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अत्यंत सफल रहा। एक स्मरण याद आता है कि एक बार पटवा जी का फोन आया कि आपको चुनाव लड़ना है, लेकिन वह उस समय चुनाव लड़ने को लेकर मानसिक रूप से तैयार नहीं थे। पार्टी का निर्देश था, इसलिए चुनावी समर में उतर गए। संगठन के निर्देश के बाद वह परिणाम की परवाह नहीं करते थे।

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मेरे पहले राजनीतिक गुरू थे : श्री पुन्नुलाल मोहले, पूर्व मंत्री छत्तीसगढ़

मैं उस समय सरपंच था। उन्होंने मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। गांव का सरपंच होने के साथ मेरे लिए विधानसभा चुनाव लड़ना बड़ी बात थी। उनकी प्रेरणा से हमने विभिन्न जाति-वर्गों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने के लिए अभियान चलाया। उनके साथ रहकर मुझे सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र के साथ ही संसदीय परंपराओं को सीखने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ। वह मेरे पहले राजनीतिक गुरु थे। उनसे ही मैंने राजनीतिक जीवन में सफलता के लिए मूलमंत्रों की दीक्षा ली। उन्होंने छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में भाजपा के विस्तार और मजबूती के लिए अनुकरणीय कार्य किया है।

लेखक, हेमंत पाणिग्रही, वरिष्ठ पत्रकार हैं

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